दुर्गा चालीसा आरती | Durga chalisa aarti
नवरात्री नजदीक है मित्रो और माँ दुर्गा चालीसा आरती अभी हर कोई तलाश कर रहा है। दुर्गा चालीसा आरती आप सब को कंठस्थ याद भी होना चाहिए साथ ही माँ की आरती हमेशा से जानी चाहिए।
नवरात्री ही नहीं हर वो त्यौहार पर माँ की आरती गानी चाहिए इससे मन हमेशा खुश रहता है साथ ही मन चाहे फल की प्राप्ति होती है। हम यह प्यारा सा दुर्गा चालीसा आरती आपके सामने पेश कर रहे है अपने मित्रों के साथ इस आर्टिकल को जरूर से शेयर करें।
दुर्गा चालीसा आरती
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
उम्मीद है आपको यह चालीसा पसंद आया होगा। ऐसे ही माँ की चालीसा एवं आरती के लिए इस ब्लॉग के साथ जरूर से जुड़े रहे।
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