Durga Chalisa lyrics in hindi

Durga Chalisa lyrics in hindi: मधुर हिंदी भाषा में रचित दुर्गा चालीसा

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पूज्य हिंदू देवी, दुर्गा को समर्पित एक पवित्र भजन, Durga Chalisa lyrics in hindi की मंत्रमुग्ध दुनिया में आपका स्वागत है। मधुर हिंदी भाषा में रचित, दुर्गा चालीसा एक भक्ति कविता है जिसमें चालीस छंद हैं, जिनमें से प्रत्येक में देवी दुर्गा के दिव्य गुणों और अभिव्यक्तियों की प्रशंसा की गई है।

हिंदू धर्म में सबसे व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली प्रार्थनाओं में से एक के रूप में, दुर्गा चालीसा आशीर्वाद, सुरक्षा और आध्यात्मिक उत्थान चाहने वाले भक्तों के लिए अत्यधिक महत्व रखती है। दुर्गा चालीसा के गहन छंदों के माध्यम से इसके कालातीत ज्ञान और दिव्य सार की खोज में हमारे साथ शामिल हों।

Durga Chalisa lyrics in hindi

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

विशेषज्ञ टिप्पणी

“हिंदू धर्मग्रंथों और आध्यात्मिक परंपराओं के एक विद्वान के रूप में, मैं लगातार दुर्गा चालीसा की गहन गहराई और आध्यात्मिक अनुगूंज से प्रेरित हूं। प्रत्येक श्लोक देवी दुर्गा की विस्मयकारी शक्ति और परोपकार के लिए एक काव्यात्मक श्रद्धांजलि है, जो भक्तों को एक पवित्र आह्वान प्रदान करता है। उनकी दिव्य कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए। दुर्गा चालीसा के पाठ के माध्यम से, विश्वासियों को सांत्वना, शक्ति और देवी दुर्गा के दिव्य मातृत्व के साथ गहरा संबंध मिलता है।”

निष्कर्ष

अंत में, दुर्गा चालीसा दुनिया भर में लाखों भक्तों द्वारा देवी दुर्गा को दी गई भक्ति और श्रद्धा का एक कालातीत प्रमाण है। अपने ओजस्वी छंदों और हार्दिक प्रार्थनाओं के माध्यम से, दुर्गा चालीसा एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में कार्य करती है, जो भक्तों को आत्म-खोज और दिव्य संबंध की आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाती है। जैसे ही हम इस भजन के पवित्र शब्दों में खुद को डुबोते हैं, हम अपने जीवन में देवी दुर्गा की शाश्वत उपस्थिति के प्रति भक्ति, विश्वास और कृतज्ञता से भर जाते हैं। आइए हम अपनी यात्रा के सभी पहलुओं में उनका आशीर्वाद और सुरक्षा मांगते हुए, अटूट भक्ति के साथ दुर्गा चालीसा का जाप करना जारी रखें।

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