Durga ji ki Aarti

Durga Aarti – यहाँ पढ़िए माँ दुर्गा जी की आरती हिंदी में

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Durga ji ki Aarti: चैत्र नवरात्रि पूजा के दौरान प्रतिदिन मां दुर्गा की आरती करने की प्रथा है। हम इस आर्टिकल में आपके लिए माँ दुर्गा की आरती लेकर आये है, आप इस आरती को अपनी नियमित दैनिक प्रार्थनाओं में भी शामिल कर सकते हैं। यह आपकी पूजा दिनचर्या के लिए एक विशेष स्पर्श की तरह है। इसलिए, चाहे वह नवरात्रि हो या कोई भी नियमित दिन, आप मां दुर्गा की आरती गाकर या पढ़कर अपनी पूजा को एक सुंदर समापन तक पहुंचा सकते हैं। हमरी आरती “जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी” को गाकर आपका मन प्रसन्न हो जायेगा।

माँ दुर्गा हम सब के दिलों में बसती है, माँ तो माँ है जो हर प्राणी को सुख रखती है, धन वैभव प्रदान करती हैं। अपनी कई भुजाओं में हथियार पकड़े हुए और राजसी शेर पर सवार होकर, वह ताकत, साहस और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए, उनकी आरती को अपनी प्रार्थनाओं में शामिल करना उनकी शक्तिशाली उपस्थिति को अपने जीवन में आमंत्रित करने जैसा है।

Durga ji ki Aarti

दुर्गा जी की आरती: ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

माँ को प्रणाम कर हमेशा अच्छे कार्य करें, आपको मन से और तन से अच्छा लगने लगेग। आपकी जिंदगी पहले से बेहतर हो जाएगी।

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